Saturday, June 7, 2014

जानिए ब्लॉग लेखक को


 होमोहबिलिस, होमोएरेक्टस, होमोसपीएन  आदि के विकास क्रम के विषय में आपने सुना ही होगा । बस ब्लॉग लेखको को समझना है, तो यूं सोच लीजिए की Homosapien के बाद मनुष्य विकसित होकर ब्लॉग लेखक बन गया । और आप ऐसा माने या ना माने, कम  से कम  ब्लॉग लेखक तो अपने बारे में यही मानते हैं कि साधरण मनुष्य की तुलना में उनका विकास कुछ ज्यादा हो गया है । इसीलिए मुफ्त में ज्ञान बाँट, बाकी मनुष्यजाति को राह दिखाना अपना कर्त्तव्य समझते  है ।

अच्छा, ये लेखक जिस विषय में लिखता है, अक्सर उसने उस क्षेत्र में लिखने के सिवा कोई योगदान नहीं दिया होता । मसलन लेखक खुद किसी कंपनी में मामूली इंजीनियर होगा पर ब्लॉग लिखकर बड़े से बड़े सीईओ को बता देगा की तुम्हारी कंपनी क्यों पिट रही है । वैसे तो यह प्रतिभा साधारण लोगो में भी देखने को मिल जाती है। कोई खुद कितना भी बड़ा अनाडी क्यों ना हो, दूसरो को सलाह देने या आलोचना करने से कब पीछे हटता  है ? बस यूं समझ लीजिए जिन लोगो में ये प्रतिभा जरूरत से ज्यादा बढ़ जाती है वो frustrate होकर ब्लॉग लिखना चालू कर देते हैं । अनुभव से बता रहा हूँ, फ़्रस्ट्रेशन दूर करने का ब्लॉग से बेहतर कोई उपाए नहीं । मिसाल से तौर पे, आपने खुद कभी क्रिकेट का बल्ला ना पकड़ा हो पर आप तेंदुलकर की बैटिंग का विशलेषण कर उसको बता देंगे की उसकी कवर ड्राइव में क्या गलती है । अब जाहिर है आपकी फसबूकि मित्र-मण्डली में (आपके जैसे) और भी मूर्ख होंगे ही, जो आपके विश्लेषण का विश्लेषण कमेंट्स में करना शुरू कर देंगे । हो सकता है २-३ वाह-वाही भी मिल जाए । पिछले दिनों चुनावी मौसम था । हर कोई चुनाव विशेषज्ञ बना बैठा था । ब्लॉग लेखको की चांदी - राजनीति पे ब्लॉग लिख दो, देश और साहित्य दोनों की सेवा कंप्यूटर पे बैठे बैठे सरलता से हो गयी ।  कुछ तो टीवी पे २-४ ओपिनियन पोल देखके उन्हें अपना आकलन कहके दोहराने लगे । और वैसे भी नतीजों के बाद कौन तुमसे पूछने आ रहा है की तुमने क्या छापा  था । और नतीजे आ जाए फिर हारने वाले को २-४ राय दे दो, माने पढ़ने वाले को लगे की अगर चुनाव से पहले भाई इनसे सलाह ले लेता तो हारता ही नहीं । खुद की हैसियत चाहे मुन्सिपलिटी के चुनाव में १० वोट लेने की ना हो!

यूं तो ब्लोगेर्स कई प्रकार के होते हैं पर मोटे तौर पे इन्हे निम्नलिखित तीन-चार  उपजातियो में बांटा जा सकता है :

रायचंद - आपका काम है राय देना, कोई ले या ना ले, ये उसकी प्रॉब्लम । आजकल नया फैशन है, ये काम 'ओपन लेटर' लिखके करने का । प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति आदि अक्सर आपकी राय के पात्र होते है ।

आलोचक या निन्दकारी  - ऐसा नहीं है की निंदा रस  की उपासना केवल ब्लोग्गेर्स तक सीमित हो। घरेलू महिलाओं से लेकर ऑफिस के कैफेटेरिया तक सभी प्राणी इस रस  का आनंद लेते पाये जा सकते हैं । यही काम ब्लॉग में करके आप पाठको को निंदा-सागर में डुबकी लगाने का आनंद देते हैं ।

फ़र्ज़ी शोधकारी  - अक्सर ये लोग जीवन में पीएचडी आदि करने की हसरत रखते थे, पर समय या अक्ल की कमी के चलते ये हसरते दिवास्वप्न रह गई । इनका मोडस-ओपेरंडी ये है की Wikipedia पे २-४ आर्टिकल पढ़के ब्लॉग रूप में छापके ऐसा दिखाओ की दुनिया में सारा मौलिक शोध आपका ही है ।

ट्रैवलिंग ब्लॉग लेखक - ये ब्लॉग कृतक आजकल जन्मी फोटोग्राफर जाती का अपभ्रंश रूप है । जिन्हे अपने चित्र लगाने भर से चैन नहीं मिलता वो साथ में ये भी बखान कर डालते हैं की कहाँ जाके क्या खाया , क्या उल्टा , क्या धोया क्या सुखाया । इन्हे डींग हांकने का विशेष शौक होता है, कहीं दो मील चलके गए तो बखान ऐसे लिखेंगे जैसे क़िला फ़तेह किया हो । पृष्टभूमि सदा एक ही रहती है - वहां पहुचने में कितनी तकलीफ हुई 'बट  हाउ एवरीथिंग वास वर्थ इट'! खैर इनके पाठको को इनके निजी क्रिया-कलापो में कोई रुचि हो न हो, इनके चित्र देखके जल भी लेते हैं और आनंद भी उठा लेते हैं ।


खैर मुझे आशा की आने वाले समय में ब्लॉग लेखको की जाति और फले - फूलेगी । और हाँ मुझे इन उपजातियों में डालने की चेष्टा न करें !


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