Sunday, November 2, 2014

भारत का काला धन विदेश में !

एक सच्चा देशभक्त होने के नाते मुझे ये जानकार बहुत दुःख हुआ की कई भारतियों का काला धन विदेश में है । इस मामले की तो वास्तव में गहरी  जांच  होनी चाहिए । इस देश में सुविधाओं की, व्यवस्थाओं की, ऐसी क्या कमी रह गयी जो मेरे देशवासियों को काला धन विदेशो में रखना पड़ा ? कोई पढाई करने विदेश जाये, बात समझ आती है, इंडिया में opportunity नहीं होगी । कोई नौकरी करने विदेश जाये, समझ आता है, opportunity नहीं होगी । मगर कोई  काला धन जमा कराने विदेश जाए !! मेरी समझ से तो परे  है भाई । हमारे देश में मंदिर के चढ़ावे से लेके, चुनाव के चंदे तक सब ब्लैक में ही होता है । प्रॉपर्टी खरीदने जाओ, तो पेमेंट ब्लैक में करो । व्यापार करने की पूरी बिज़नेस cycle ब्लैक में करने की व्यवस्था है - जमीन खरीदें ब्लैक में और रजिस्ट्रेशन में छूट पाएं , विदेश से मशीन ब्लैक में मंगाए, कस्टम में छूट पाएं , आधा माल ब्लैक में बेचें, इनकम टैक्स में छूट पाए, और कस्टम, टैक्स आदि के ऑफिसर्स को वोही ब्लैक मनी रिश्वत में दें ताकि वे आगे अपने घर, अपनी प्रॉपर्टी में काला धन इन्वेस्ट करके इस परंपरा को ऐसे ही आगे बढ़ाएं । हजारों दलालों, बिचौलियों की नौकरियां काले धन पे टिकी हैं । इतनी अच्छी व्यवस्था के बावजूद अगर कुछ लोगो को लगा की विदेश में ब्लैक मनी रखने में फायदा है, तो यह तो आत्मावलोकन का विषय है ।

मैंने ये ज़िक्र एक वित्तीय मामलो  के जानकार मित्र से किया तो वह बोला की विदेशी बैंको में प्राइवेसी का ख्याल ज्यादा रखा जाता है । मैंने कहा भाई ये तो सरासर गलतफमही फैलाई जा रही है, भारतिय व्यवस्थाओं को नीचा दिखाने के लिए । विदेशो में प्राइवेसी की कोई क़द्र नहीं है । सब पोलिटिकल पार्टी चिल्ला चिल्ला के बताती हैं की हमें किसने कितना पैसा दिया । सब प्रॉपर्टी का लेन-देन सरकार को बताना पड़ता है । प्राइवेसी की क़द्र तो हिन्दुस्तान में ही है ।  कोई रईस किसी राजनेता को कितना पैसा, कब और कैसे देता है ये सब उन दोनों का प्राइवेट मसला है । हमारे यहाँ सरकार या जनता इन सब के बीच में नहीं पड़ती । पारदर्शिता के हम सख्त खिलाफ हैं, फिर चाहे वो कपडे हो या सरकारी काम काज़ । इसलिए अमरीकी काला बाजारी स्विस बैंक अकाउंट खोलते हैं तो उनकी मजबूरी समझ आती है ।  अगर भारतीय काला बाजारी उनकी होड़ में स्विट्ज़रलैंड में अकाउंट खोल लिए, तो मैं  तो इसे मूर्ख नक़ल ही कहूँगा ।  हमारे राजनेताओं की मेह्नत का ही नतीजा है की ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल आदि सँस्थाए हमें ९४वे  स्थान पे डालती हैं । और ये कोई ७००-८०० लोग जाने किस प्रलोभन में आकर विदेशों में धन रखने लगे ।

चलो अच्छा है इस प्रकरण की जांच आयकर विभाग के लोग कर रहे हैं । इन लोगो से बेहतर कौन जान सकता है की भारत में काला धन कहाँ और कैसे छिपाया जाये । उम्मीद है की ये लोग विदेशी खाताधारकों को कुछ सद्बुद्धि और नुस्खे देंगे ताकि आगे से भारत का काला धन यही फले-फूले । मैं  तो कहता हूँ, जांच के बाद इन्हे सरकार को स्कीम/स्कैम  सुझाना चाहिए जिससे भारतीय ही नहीं , पूरे विश्व के भ्रष्ट लोग अपना ब्लैक मनी इन्वेस्ट करने भारत ही आएं ।

होनहार नवयवुकों को यही कहना चाहूँगा की इस सब ड्रामें में ना आए। वेस्ट हमसे ज्ञान - विज्ञान में आगे हो सकता है, भ्रष्टाचार में हम उनसे सदियों आगे हैं  ।  आप लोग जब भी काला धन कमाएं , उसे देश में ही रखे , उससे सुरक्षित कोई और जगह विश्व में हो ही नहीं सकती । भला आजतक हिंदुस्तान में रखा किसी का काला धन जप्त हुआ है ?


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