Wednesday, July 31, 2013

सेवाभिलाशी सांसद

अभी हाल-फिलहाल एक राज्य सभा के सांसद महोदय ने बताया की सांसद एक-एक राज्य सभा सीट के लिए सौ करोड़ तक की राशि देते हैं | अपने सांसदों का इतना सेवा भाव देख कर मेरा तो मन ही भर आया |

ऐसा नहीं है की यह अनुभूति मुझे जीवन में पहली बार हुई हो | हमारे भारत देश के परोपकारी राजनेताओं के लिए मेरे मन में सदा ही ख़ास आदर-भाव रहा है | बेचारे नेता क्या कुछ नहीं करते - सिर्फ जनता की सेवा का एक मौका पाने के लिए ! मैंने सुना था, की हमारे उत्तर-प्रदेश में एक MLA के टिकेट के लिए ही लोग २ करोड़ पार्टी को देते हैं | यह तो केवल टिकेट पाने के लिए, माने इस बात की कोई gaurantee नहीं की जनता की सेवा का मौका वास्तव में मिलेगा के नहीं | इसके बाद मुफ्त शराब बांटना, बेरोजगार लोगो को एकत्र करके उनसे रैलियां निकलवाना - ये समझिये की इतनी सेवा तो हर कोई बिना कोई मौका मिले ही कर रहा है , वो भी अपनी जेब से पैसे खर्च करके ! मै तो धन्य हो गया यह जानकार की मेरे भारत देश में , एक-दो नहीं हज़ारो ऐसे परोपकारी लोग हैं जो ऐसा करते हैं , अपनी ख़ुशी से करते हैं , बार बार करते हैं |

पिछले दिनों बिल गेट्स भारत आया था, बोलता है की भारत के रईस दुसरे देशो के रईसों जैसे खुलके दान नहीं देते | पैसे को बचा के रखते हैं | मैं  तो उसकी शकल देखके ही समझ गया था की बिना रिसर्च किये भारत पे टिप्पड़ी कर रहा है(बाकी अंग्रेजो की तरह ) | जिस देश की भूमी ने हजारो कर्मठ, समर्पित, निःस्वार्थ भावना से जनसेवा करने वाले राजनेताओं को जन्म दिया हो, उस देश के रईस, करोडपति क्या इतने गए गुजरे होंगे की 50-100 करोड़ दान में देके उसका दुनिया में बखान करते फिरें? अजी हमारे देश के उद्योगपति तो दान देके रसीद भी नहीं मांगते राजनेताओं से! और क्यूँ मांगे? शास्त्रों में कहा गया है - गुप्त दान महा दान | ये तो इतने निष्ठावान हैं, की आप इनपे चाहे CBI इन्क्वायरी बैठा दें, ये उगलने से गए की किस किस को कितना दान दे रखा है |

मेरा तो बस सामना हो जाये गेट्स साहिब से, उसे बताऊँगा की भारत की जनसेवा भावना की आलोचना करने से पहले जान लो की कह क्या रहे हो !! भाई, पश्चिमी देशो में जेल में कैद अपराधी समाज और करदाता पे बोझ होते हैं | पर हमारे यहाँ ऐसा नहीं है ! हमारे यहाँ तो जेल में बंद होकर  भी अपराधी यही सोचता है की जनता के लिए क्या कर सकता है, वहीँ से चुनाव भी लड़ता है, वहीँ से जीत भी जाता है| माननीय सुरेश कलमाड़ी जी ने अपनी जमानत याचिका में भी यही लिखा था की संसद का सत्र चल रहा है, देश की गंभीर समस्यों पे विचार होगा, मुझे कर्त्तव्य-निर्वहन के लिए जेल से जमानत पे रिहा कर दिया जाये | इसे कहते हैं कर्त्तव्य-परायण महापुरुष - जो महीनो जेल में रहके भी अपने बारे में कुछ ना सोचे, सब देश और जनता के लिए ही  सोचे |

ख़ास बात तो यह है, की सेवा की ये इच्छा इतनी गहरी है हमारे नेताओं में की ये आपस में भी लड़ते हैं - मुझे दिया है मौका जनता ने सेवा का , ना तुझे कैसे दिया जनता ने असल में मुझे दिया है | अभी तो चुनाव आने ही वाले हैं, आपको जल्दी ही इस प्रकार की सेवा प्रदान करने की आतुरता नजर आएगी | कभी गठबंधन करते हैं मिलके सेवा करने के लिए, तो कभी उसे तोड़ देते हैं क्यूंकि बीच सत्र में इनके समझ में आता है की 'जनादेश' तो कुछ और था !! ऐसे सेवक जो हमारे आदेश का पालन करने के लिए अपने जी, जान, आत्मा सब दांव पे लगा दें , भला कभी मिल सकते हैं किसी और देश मे?

2 comments:

  1. Hilarious! This one is one of my favorite blogs by you.. Love the fifty shades of sarcasm in there ;) absolute delight to read, end to end..

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