Wednesday, July 4, 2012

जानिये NRI को

 "धोबी का कुत्ता ना घर का ना घाट का" ऐसी कहावत बचपन में पढ़ी थी। पर इसका भावार्थ अब जाके समझ आया। अब NRI होने की प्रक्रिया में घर कोनसा है और घाट कोनसा ये तो पता नहीं पर इतना अवश्य  कह सकते  हैं की कुत्ता ......ammmm चलिए छोडिये कुत्ते को...आपको NRIs के बारे में बताते हैं। एक जुमला अक्सर सुना होगा आपने - ABCD(American  Born  Confused  Desi) - पर आपको बता दूं , confused  होने के लिए अमरीका  में पैदा होने की कोई आवश्यकता नहीं। यदि आप भारत में जन्में हैं, खुद को जवान समझते हैं, और पढ़ा लिखा भी मानते हैं, तो confused type  के तो आप भी होंगे ही। NRI  इन्ही confused लोगो में से उपजी वो प्रजाति है, जो अपने को बाकी से श्रेष्ठ, निपुड एवम होशियार समझती है । इस प्रजाति की पहचान , एकदम आसान । आगे के blog  मे मै आपको यही पहचान सिखाता हूँ।

NRI  की पहली निशानी ये, की ये हर बात में दुसरे देश को याद करते हैं। या यूं समझिये की घर पे होते हैं तो घाट को और घाट  पे होते हैं तो घर को । मिसाल के तौर पे, आप इन्हें अमरीका में पर्वत श्रृंखला में hike पर ले जाइये । ऊपर पहुच के कहेंगे "यार यहाँ ठण्ड में अगर एक चाय की दूकान होती जहाँ गरम चाय और समोसे मिल जाते तो क्या बात थी "। और सही भी है, 1-2 energy  bars से भारतीय पेट को संतुष्टि  नहीं मिल  सकती।अब इसी प्राणी को हिंदुस्तान के किसी दर्शनीय स्थल ले जायें।  रास्ते में पड़े चाय के plastic  के  cup देखते ही ऐसे  घर्णा से बोलेगा "In the States  you  cant  throw  stuff  like  this". यही नहीं आवाज़ में accent  भी ऐसा होगा की साथ के लोगो में किसी को इस बात में शंका ना रह जाये की आप अमरीका से तशरीफ़ लाये हैं।

दूसरा, अगर आपको कभी यह जानना हो की India  आखिर क्यों तरक्की नहीं कर रहा, इस प्रजाति का कोई भी  नमूना पकड़ लीजिये । यूं समझिये की हर NRI  स्वयं को इस विषय में प्रकांड पंडित समझता है। प्रत्येक NRI  मानता है की अगर भारत सरकार उससे सलाह ले ले, तो भारत भी पश्चिमी राष्ट्रों की तरह विकसित देश बन जाए। और चूँकि भारत सरकार ऐसा करेगी नहीं, इसलिए "इंडिया का कुछ नहीं हो सकता" इनका favourite  तकिया कलाम होता है। कुछ NRI  इसका मिलता जुलता अंग्रेजी का जुमला "That  IS the problem with India" पसंद करते हैं । अब भारत में इतनी विविधता है, तो थोड़ी विविधता तो NRIs  में भी होगी ही।

तीसरा, हर NRI  2 साल बाद  स्थाई रूप से India  लौट रहा होता है ।कारण ये की वह  तथाकथित रूप से अपने देश को बड़ा miss  करता है । दूसरा यह, की पश्चिमी देश तो संस्कृति विहीन, वैचारिक  रूप से खोखले, उपभोगवादी सभ्यता हैं, और हमारे NRI  मित्रों का ऐसी जगह मन नहीं लगता। अब यह अलग बात है, की dollar की चाह में अपने देश, दोस्तों को छोड़  वह आया, पर  materialistic तो  अँगरेज ही  हैं ।

अब बताने को तो और भी बहुत कुछ बता सकता हूँ, इस जाती के विषय में जिसका मै एक (अ)सम्मानित सदस्य हूँ । पर आपके समय का मान रखते हुए, मै  फिलहाल मौन होता हूँ , टिप्पड़ियो से प्रोत्साहन देंगे तो बाकी के रहस्य जल्दी ही !  


5 comments:

  1. अत्यंत सटीक आलेख, धन्यवाद श्रीमान

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  2. good one abhishek...thanks ...baaki rahasya bhi khol do...

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  3. "you nailed it lambs !!"

    ~ this commendation was expressed in the most irritable NRI tone :D

    ~Satish

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  4. Bahut sahi Lamboo... Totally correct... !!!

    -Shishir

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