"धोबी का कुत्ता ना घर का ना घाट का" ऐसी कहावत बचपन में पढ़ी थी। पर इसका भावार्थ अब जाके समझ आया। अब NRI होने की प्रक्रिया में घर कोनसा है और घाट कोनसा ये तो पता नहीं पर इतना अवश्य कह सकते हैं की कुत्ता ......ammmm चलिए छोडिये कुत्ते को...आपको NRIs के बारे में बताते हैं। एक जुमला अक्सर सुना होगा आपने - ABCD(American Born Confused Desi) - पर आपको बता दूं , confused होने के लिए अमरीका में पैदा होने की कोई आवश्यकता नहीं। यदि आप भारत में जन्में हैं, खुद को जवान समझते हैं, और पढ़ा लिखा भी मानते हैं, तो confused type के तो आप भी होंगे ही। NRI इन्ही confused लोगो में से उपजी वो प्रजाति है, जो अपने को बाकी से श्रेष्ठ, निपुड एवम होशियार समझती है । इस प्रजाति की पहचान , एकदम आसान । आगे के blog मे मै आपको यही पहचान सिखाता हूँ।
NRI की पहली निशानी ये, की ये हर बात में दुसरे देश को याद करते हैं। या यूं समझिये की घर पे होते हैं तो घाट को और घाट पे होते हैं तो घर को । मिसाल के तौर पे, आप इन्हें अमरीका में पर्वत श्रृंखला में hike पर ले जाइये । ऊपर पहुच के कहेंगे "यार यहाँ ठण्ड में अगर एक चाय की दूकान होती जहाँ गरम चाय और समोसे मिल जाते तो क्या बात थी "। और सही भी है, 1-2 energy bars से भारतीय पेट को संतुष्टि नहीं मिल सकती।अब इसी प्राणी को हिंदुस्तान के किसी दर्शनीय स्थल ले जायें। रास्ते में पड़े चाय के plastic के cup देखते ही ऐसे घर्णा से बोलेगा "In the States you cant throw stuff like this". यही नहीं आवाज़ में accent भी ऐसा होगा की साथ के लोगो में किसी को इस बात में शंका ना रह जाये की आप अमरीका से तशरीफ़ लाये हैं।
दूसरा, अगर आपको कभी यह जानना हो की India आखिर क्यों तरक्की नहीं कर रहा, इस प्रजाति का कोई भी नमूना पकड़ लीजिये । यूं समझिये की हर NRI स्वयं को इस विषय में प्रकांड पंडित समझता है। प्रत्येक NRI मानता है की अगर भारत सरकार उससे सलाह ले ले, तो भारत भी पश्चिमी राष्ट्रों की तरह विकसित देश बन जाए। और चूँकि भारत सरकार ऐसा करेगी नहीं, इसलिए "इंडिया का कुछ नहीं हो सकता" इनका favourite तकिया कलाम होता है। कुछ NRI इसका मिलता जुलता अंग्रेजी का जुमला "That IS the problem with India" पसंद करते हैं । अब भारत में इतनी विविधता है, तो थोड़ी विविधता तो NRIs में भी होगी ही।
तीसरा, हर NRI 2 साल बाद स्थाई रूप से India लौट रहा होता है ।कारण ये की वह तथाकथित रूप से अपने देश को बड़ा miss करता है । दूसरा यह, की पश्चिमी देश तो संस्कृति विहीन, वैचारिक रूप से खोखले, उपभोगवादी सभ्यता हैं, और हमारे NRI मित्रों का ऐसी जगह मन नहीं लगता। अब यह अलग बात है, की dollar की चाह में अपने देश, दोस्तों को छोड़ वह आया, पर materialistic तो अँगरेज ही हैं ।
अब बताने को तो और भी बहुत कुछ बता सकता हूँ, इस जाती के विषय में जिसका मै एक (अ)सम्मानित सदस्य हूँ । पर आपके समय का मान रखते हुए, मै फिलहाल मौन होता हूँ , टिप्पड़ियो से प्रोत्साहन देंगे तो बाकी के रहस्य जल्दी ही !
NRI की पहली निशानी ये, की ये हर बात में दुसरे देश को याद करते हैं। या यूं समझिये की घर पे होते हैं तो घाट को और घाट पे होते हैं तो घर को । मिसाल के तौर पे, आप इन्हें अमरीका में पर्वत श्रृंखला में hike पर ले जाइये । ऊपर पहुच के कहेंगे "यार यहाँ ठण्ड में अगर एक चाय की दूकान होती जहाँ गरम चाय और समोसे मिल जाते तो क्या बात थी "। और सही भी है, 1-2 energy bars से भारतीय पेट को संतुष्टि नहीं मिल सकती।अब इसी प्राणी को हिंदुस्तान के किसी दर्शनीय स्थल ले जायें। रास्ते में पड़े चाय के plastic के cup देखते ही ऐसे घर्णा से बोलेगा "In the States you cant throw stuff like this". यही नहीं आवाज़ में accent भी ऐसा होगा की साथ के लोगो में किसी को इस बात में शंका ना रह जाये की आप अमरीका से तशरीफ़ लाये हैं।
दूसरा, अगर आपको कभी यह जानना हो की India आखिर क्यों तरक्की नहीं कर रहा, इस प्रजाति का कोई भी नमूना पकड़ लीजिये । यूं समझिये की हर NRI स्वयं को इस विषय में प्रकांड पंडित समझता है। प्रत्येक NRI मानता है की अगर भारत सरकार उससे सलाह ले ले, तो भारत भी पश्चिमी राष्ट्रों की तरह विकसित देश बन जाए। और चूँकि भारत सरकार ऐसा करेगी नहीं, इसलिए "इंडिया का कुछ नहीं हो सकता" इनका favourite तकिया कलाम होता है। कुछ NRI इसका मिलता जुलता अंग्रेजी का जुमला "That IS the problem with India" पसंद करते हैं । अब भारत में इतनी विविधता है, तो थोड़ी विविधता तो NRIs में भी होगी ही।
तीसरा, हर NRI 2 साल बाद स्थाई रूप से India लौट रहा होता है ।कारण ये की वह तथाकथित रूप से अपने देश को बड़ा miss करता है । दूसरा यह, की पश्चिमी देश तो संस्कृति विहीन, वैचारिक रूप से खोखले, उपभोगवादी सभ्यता हैं, और हमारे NRI मित्रों का ऐसी जगह मन नहीं लगता। अब यह अलग बात है, की dollar की चाह में अपने देश, दोस्तों को छोड़ वह आया, पर materialistic तो अँगरेज ही हैं ।
अब बताने को तो और भी बहुत कुछ बता सकता हूँ, इस जाती के विषय में जिसका मै एक (अ)सम्मानित सदस्य हूँ । पर आपके समय का मान रखते हुए, मै फिलहाल मौन होता हूँ , टिप्पड़ियो से प्रोत्साहन देंगे तो बाकी के रहस्य जल्दी ही !
अत्यंत सटीक आलेख, धन्यवाद श्रीमान
ReplyDeletegood one abhishek...thanks ...baaki rahasya bhi khol do...
ReplyDeleteThanks Rahul and Ajay
ReplyDelete"you nailed it lambs !!"
ReplyDelete~ this commendation was expressed in the most irritable NRI tone :D
~Satish
Bahut sahi Lamboo... Totally correct... !!!
ReplyDelete-Shishir